मुंबई (एएनआई)। अपनी डिजिटल डेब्यू वेब सीरीज के लिए प्यार और समर्थन से अभिभूत, 'ब्रीथ: इन द शैडो' अभिनेता अभिषेक बच्चन ने फैंस का शुक्रिया अदा किया। शनिवार को वेब सीरीज के लिए पाॅजिटिव रिस्पांस मिलने पर प्रशंसकों का शुक्रिया अदा करते हुए एक भावनात्मक नोट लिखा। 44 वर्षीय स्टार ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर डाली जिसमें वेब श्रृंखला की टीम शामिल है और उन्होंने अपने प्रशंसकों को समर्थन के लिए धन्यवाद देते हुए एक नोट डाला। उन्होंने कहा, "मैं ब्रीथ के लिए आपके सभी प्यार और समर्थन से बहुत अभिभूत हूं। एक अभिनेता के रूप में, हमारी सबसे बड़ी खुशी हमारी कड़ी मेहनत के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त करना है। पूरे दिन आपके अच्छे कमेंट्स को पढ़ना इतना अद्भुत और भावनात्मक रहा है।”

Breathe into the shadows review,: ब्रीद इनटू द शैडोज

Cast[edit]

  • Amit Sadh as Kabir Sawant
  • Abhishek Bachchan as Dr. Avinash Sabharwal/Mr.J(villain)
  • Nithya Menen as Abha Sabharwal
  • Ivana Kaur as Siya Sabharwal
  • Resham Shrivardhan as Gayatri Mishra
  • Shrikant Verma as Jaiprakash
  • Saiyami Kher as Shirley
  • Plabita Borthakur as Meghna Verma
  • Hrishikesh Joshi as Prakash Kamble
  • Shradha Kaul as Zeba Rizvi
  • Nizhalgal Ravi as Principal Krishnan Moorthy
  • Vibhawari Deshpande as Vrushali
  • Shruti Bapna as Natasha Garewal
  • Madhavi Juvekar as Madhvi Kamble
  • Gargi Sawant as Chandani Rawat
  • Sunil Gupta as Tejinder Singh
  • Varin Roopani as Young Avinash
  • Pawan Singh as Angad Pandit
  • Kuljeet Singh as Pritpal Singh Bharaj
  • Vijay Kumar Rajoria as Indranil Verma
  • Vijaylaxmi Singh as Nimrat Kaur
  • Jaspal Sharma as Joseph (Reporter)
  • Debbie Thokchom as Deblina
  • Vipin Katyal as Kesri
  • Dwij Vala as Young Avinash (8 years old)
  • Ravish Dumra as Adult Avinash
  • Gunit Cour as Young Natasha
  • Suhani Shah as Divyanka
  • Samit Gambhir as Himanshu Jain
  • Shataf Figar as Dr. Narang
  • Aruna Soni as Malti Mishra
  • Akshay Chaturvedi as Inder Khanna
  • Abhijeet Singh as Gurmeet Singh Bharaj
  • Sanjeev Kumar as Avtar Singh
  • Akash Mahamana as Shankar
  • Akashdeep Sabir as Aakash Bhalla
  • Nishant Singh as Young Angad Pandit
  • Archana Iyer as Diya (Abha's Sister - Chechi)
  • Akriti Singh as Meera Sabharwal
  • Pawan Sabharwal as Young Pritpal
  • Pratap Phad as Mandar Varde
  • Pavitra Sarkar as Pratap Sabharwal
  • Gargi Mangesh Sawant as Chandni Rawat
  • Ajay Kumar as Aakash Bhatia
  • Rajshekhar Kapoor as DCP Mumbai
  • Musharraf Rahman Khan as Prosecutor
  • Meetu Nagrani as Meena Kapoor
  • Vijay Vikram Singh as Dr. Jehangir
  • Prateek Kapoor as Ashok Kapoor
  • Swati Bowalekar as Prakash's Mother
  • Pradnya Dalvi as Prakash's Daughter
  • Sail Kokate as Prakash's Son
  • Manjushree Kulkarni as Lawyer
  • Arjun Marwal as Bhumie
  • Gouri Agarwal as Bonnie
  • Ashok Chhabra as Natasha's Father
  • Arvinder Singh Gill as Arjun Marwah (DCP Crime Branch)
  • Darshan Prakaash as Class Teacher
  • Himani Singh as Young Nimrat
रेटिंग: *1/2
अभिषेक बच्चन एक बार फिर तैयार हैं। कितने तैयार हैं, ये आपको ये वेब सीरीज देखकर पता चलेगा। तैयारी उनकी पिछले 20 साल से चल रही है एक अच्छा अभिनेता बनने की। युवा, गुरु, बंटी और बबली जैसी फिल्मों में वह इस कोशिश में सफल भी हुए लेकिन उनके खाते में फ्लॉप फिल्मों की गिनती इतनी ज्यादा है कि इस कंपटीशन में वह अपने पिता अमिताभ बच्चन की शुरूआती फिल्मों को कब का मात दे चुके हैं। यहां ये तुलना इसलिए जरूरी है क्योंकि अभिषेक बच्चन ने अपने एक पहले से मिले सवालों वाले इंटरव्यू में खुद को अमिताभ बच्चन का सहकर्मी बताया है। पहले से सवाल मंगवाकर इंटरव्यू देने का आइडिया जिसने भी अभिषेक बच्चन को दिया होगा, जरूर उसी ने उनकी इस डेब्यू सीरीज का भी आइडिया बनाया होगा। दोनों ही बिल्कुल फुस्स हैं।
Breathe into the shadows Review

ब्रीद नाम से प्राइम वीडियो ने देश में कदम रखने के साथ एक बेहतरीन वेब सीरीज बनाई थी। आर माधवन और अमित साध के बीच चलता चूहे बिल्ली का खेल लोगों को बहुत पसंद आया। सबको इंतजार होने लगा ब्रीद 2 का लेकिन इसे बनाने वाली कंपनी ने बनाई ब्रीद इनटू द शैडोज। सिंगल लाइन में पूछें तो कहानी वही है एक पिता का अपनी संतान की जान बचाने को दूसरों की जान लेना। वहां मामला अंगदान का था। यहां अंशदान का है। कातिल को पकड़ने का काम वही दो पुलिस वाले अब दिल्ली एनसीआर में कर रहे हैं जो पहले मुंबई में कर रहे थे। भैया, पुलिस महकमे की नौकरी स्टेट गवर्नमेंट की होती है, ऐसे ट्रांसफर नहीं होते।
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कहानी यहां एक बच्ची सिया के गायब होने की है, जिसका पिता अविनाश सब्बरवाला अजीब से एक्सेंट के साथ बात करता है। क्यों? शेफ की नौकरी करने वाली उसकी पत्नी को आभा को भी शायद ही पता हो। बताया ये जाता है कि ये बंदा रुआब वाला है और अदालत उसकी जिरह पर गौर करती है। पता नहीं एक्सेंट के चलते या किसी और वजह से, क्योंकि ज्ञान जो वह देता है उससे ज्यादा तो एक नौसिखिया जानता है। स्वर्गलोक में रहने वाले इस दंपति की बिटिया के लापता होने के हफ्तों बाद उन्हें पाताल लोक से एक चिट्ठी, एक आईपैड और एक टास्क मिलता है। जाहिर है कि ये टास्क आखिरी नहीं है। पति पत्नी को अपने बच्चे की जान बचानी है। पति पूछता भी है कि ये सब करके आखिर वह क्या बन जाएगा। पत्नी उसकी बाल सुलभ सी जिज्ञासा शांत करती है और उसके कातिल बन जाने के कारण को तर्क देकर जायज ठहराने की कोशिश करती है। उफ!
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लिस विभाग के भीतर कितनी सियासत चलती है, ये इस कहानी का दूसरा रूप है। मयंक शर्मा ने इस बार सीरीज लिखते समय शायद सत्यमेव जयते खूब देखी है इसलिए सीरीज के तमाम संवाद बार बार मिलाप मिलन झावेरी की याद दिलाने लगते हैं, लेकिन पुलिस वाले हैं कि बस आंखें चौड़ी कर लेने और फ्लैशलाइट चमकाने से आगे बढ़ते ही नहीं है। 12 एपीसोड की सीरीज देखने में आपको कोई नौ घंटे के करीब अपने जीवन के अभिषेक ए बच्चन (यही उनका नया नाम है) की इस डेब्यू सीरीज को देने होंगे। और, नतीजा? ठीक वही जो अभिषेक के करियर की पहली सात फिल्मों के साथ हुआ है।
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सीरीज की लिखावट ऐसी है कि किसी भी एक एपीसोड का एक तार पकड़कर अगर खींच दिया जाए तो पूरी सीरीज भरभरा कर सामने आ जाती है। मतलब कि कहानी के बारे में कुछ भी ज्यादा कहना वैसे ही ठीक नहीं है जैसे कि अभिषेक ए बच्चन और नित्या मेनन के अभिनय पर टिप्पणी करना। पूरी सीरीज में दोनों ने एक सपाट सा आवरण चेहरे पर ओढ़ा हुआ है, उसी के पीछे उनके सारे मनोभाव चलते रहते हैं। न कहीं बेटी को बचाने की बेचैनी का भाव और न कहीं नियत समय में मुखौटा मानव का दिया काम पूरा न कर पानी की परेशानी ही दिखती है। अमित साध ने जितना जोर यहां अपना शरीर बनाने पर दिया है, उतना जोर शायद किरदार पर नहीं दिया। वह थोक के भाव में इतनी सीरीज कर रहे हैं, कई बार तो लगता है कि शायद उन्हें पता भी नहीं रहता होगा कि किस शूटिंग में पिछली बार उन्होंने कहानी का सिरा कहां छोड़ा था।
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ब्रीद इनटू द शैडोज की कमजोर कड़िया इसकी कहानी, निर्देशन और लीड किरदारों का सपाट अभिनय तो है ही, इस बार सीरीज का बैकग्राउंड म्यूजिक भी पहले सीजन के मुकाबले कमतर रहा। हां, सीरीज के साथी कलाकारों ने बेहतर काम किया है। सैयामी खेर को जितना मौका मिला, उन्होंने अपना असर छोड़ने वाला काम कर दिया। ऋषिकेश जोशी, श्रुति बापना, रेशम श्रीवर्धनकर, और श्रद्धा कौल के किरदार और विस्तार पाते तो सीरीज के लिए ही फायदेमंद होते। मामला इस बार जमा नहीं, निराशा उन लोगों को इस सीरीज से ज्यादा होने वाली है जिन्हें ब्रीद के पहले सीजन के बाद एक कमाल के थ्रिलर की उम्मीद इस सीरीज के दूसरे सीजन से रही है।
दोस्तों हम आपके लिए ऐसे ही फिल्मों की समीक्षा लाते रहेंगे आप बने रहिये हमारे साथ आपका दिन शुभ हो धन्यबाद।